Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

अथ चैनं नित्यजातं नित्यं वा मन्यसे मृतम्। तथापि त्वं महाबाहो नैवं शोचितुमर्हसि।।2.26।।

atha chainaṁ nitya-jātaṁ nityaṁ vā manyase mṛitam tathāpi tvaṁ mahā-bāho naivaṁ śhochitum arhasi

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Word Meanings

athaif, however
chaand
enamthis soul
nitya-jātamtaking constant birth
nityamalways
or
manyaseyou think
mṛitamdead
tathā apieven then
tvamyou
mahā-bāhomighty-armed one, Arjun
nanot
evamlike this
śhochitumgrieve
arhasibefitting
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अनुवाद

।।2.26।। हे महाबाहो ! अगर तुम इस देहीको नित्य पैदा होनेवाला अथवा नित्य मरनेवाला भी मानो, तो भी तुम्हें इस प्रकार शोक नहीं करना चाहिये।  

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टीका

।।2.26।। व्याख्या-- 'अथ चैनं ৷৷. शोचितुमर्हसि'-- भगवान् यहाँ पक्षान्तररमें  'अथ च'  और  'मन्यसे'  पद देकर कहते हैं कि यद्यपि सिद्धान्तकी और सच्ची बात यही है कि देही किसी भी कालमें जन्मने-मरनेवाला नहीं है (गीता 2। 20), तथापि अगर तुम सिद्धान्तसे बिलकुल विरुद्ध बात भी मान लो कि देही नित्य जन्मनेवाला और नित्य मरनेवाला है, तो भी तुम्हें शोक नहीं होना चाहिये। कारण कि जो जन्मेगा, वह मरेगा ही और जो मरेगा,

वह जन्मेगा ही--इस नियमको कोई टाल नहीं सकता। अगर बीजको पृथ्वीमें बो दिया जाय, तो वह फूलकर अङ्कुर दे देता है और वही अङ्कुर क्रमशः बढ़कर वृक्षरूप हो जाता है। इसमें सूक्ष्म दृष्टिसे देखा जाय कि क्या वह बीज एक क्षण भी एकरूपसे रहा? पृथ्वीमें वह पहले अपने कठोररूपको छोड़कर कोमलरूपमें हो गया, फिर कोमल-रूपको छोड़कर अङ्कुररूपमें हो गया, इसके बाद अङ्कुरूपको छोड़कर वृक्षरूपमें हो गया और अन्तमें आयु समाप्त होनेपर

वह सूख गया। इस तरह बीज एक क्षण भी एकरूपसे नहीं रहा, प्रत्युत प्रतिक्षण बदलता रहा। अगर बीज एक क्षण भी एकरूपसे रहता, तो वृक्षके सूखनेतककी क्रिया कैसे होती? उसने पहले रूपको छोड़ा--यह उसका मरना हुआ, और दूसरे रूपको धारण किया-- यह उसका जन्मना हुआ। इस तरह वह प्रतिक्षण ही जन्मता-मरता रहा। बीजकी ही तरह यह शरीर है। बहुत सूक्ष्मरूपसे वीर्यका जन्तु रजके साथ मिला। वह बढ़ते-बढ़ते बच्चेके रूपमें हो गया और फिर जन्म

गया। जन्मके बाद वह बढ़ा, फिर घटा और अन्तमें मर गया। इस तरह शरीर एक क्षण भी एकरूपसे न रहकर बदलता रहा अर्थात् प्रतिक्षण जन्मता-मरता रहा। भगवान् कहते हैं कि अगर तुम शरीरकी तरह शरीरीको भी नित्य जन्मने-मरनेवाला मान लो, तो भी यह शोकका विषय नहीं हो सकता।

भगवद गीता 2.26 - अध्याय 2 श्लोक 26 हिंदी और अंग्रेजी