Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम्।भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च।।13.17।।

avibhaktaṁ cha bhūteṣhu vibhaktam iva cha sthitam bhūta-bhartṛi cha taj jñeyaṁ grasiṣhṇu prabhaviṣhṇu cha

0:00 / --:--

Word Meanings

avibhaktamindivisible
chaalthough
bhūteṣhuamongst living beings
vibhaktamdivided
ivaapparently
chayet
sthitamsituated
bhūta-bhartṛithe sustainer of all beings
chaalso
tatthat
jñeyamto be known
grasiṣhṇuthe annihilator
prabhaviṣhṇuthe creator
chaand
•••

अनुवाद

।।13.17।।वे परमात्मा स्वयं विभागरहित होते हुए भी सम्पूर्ण प्राणियोंमें विभक्तकी तरह स्थित हैं। वे जाननेयोग्य परमात्मा ही सम्पूर्ण प्राणियोंको उत्पन्न करनेवाले, उनका भरण-पोषण करनेवाले और संहार करनेवाले हैं।

•••

टीका

।।13.17।। व्याख्या --   अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम् -- इस त्रिलोकीमें देखने? सुनने और समझनेमें जितने भी स्थावरजङ्गम प्राणी आते हैं? उन सबमें परमात्मा स्वयं विभागरहित होते हुए भी विभक्तकी तरह प्रतीत होते हैं। विभाग केवल प्रतीति है।जिस प्रकार आकाश घट? मठ आदिकी उपाधिसे घटाकाश? मठाकाश आदिके रूपमें अलगअलग दीखते हुए भी तत्त्वसे एक ही है? उसी प्रकार परमात्मा भिन्नभिन्न प्राणियोंके शरीरोंकी उपाधिसे

अलगअलग दीखते हुए भी तत्त्वसे एक ही हैं।इसी अध्यायके सत्ताईसवें श्लोकमें समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम् पदोंसे परमात्माको सम्पूर्ण प्राणियोंमें समभावसे स्थित देखनेके लिये कहा गया है। इसी तरह अठारहवें अध्यायके बीसवें श्लोकमें अविभक्तंविभक्तेषु पदोंसे सात्त्विक ज्ञानका वर्णन करते हुए भी परमात्माको अविभक्तरूपसे देखनेको ही सात्त्विक ज्ञान कहा गया है।भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च

-- इसी अध्यायके दूसरे श्लोकमें विद्धि पदसे जिस परमात्माको जाननेकी बात कही गयी है और बारहवें श्लोकमें जिस ज्ञेय तत्त्वका वर्णन करनेकी प्रतिज्ञा की गयी है? उसीका यहाँ ब्रह्मा? विष्णु और शिवके रूपसे वर्णन हुआ है। वस्तुतः चेतन तत्त्व (परमात्मा) एक ही है। वे ही परमात्मा रजोगुणकी प्रधानता स्वीकार करनेसे ब्रह्मारूपसे सबको उत्पन्न करनेवाले सत्त्वगुणकी प्रधानता स्वीकार करनेसे विष्णुरूपसे सबका भरणपोषण करनेवाले

और तमोगुणकी प्रधानता स्वीकार करनेसे रुद्ररूपसे सबका संहार करनेवाले हैं। तात्पर्य है कि एक ही परमात्मा सृष्टि? पालन और संहार करनेके कारण ब्रह्मा? विष्णु और शिव नाम धारण करते हैं (टिप्पणी प0 691)। यहाँ यह समझ लेना आवश्यक है कि परमात्मा सृष्टिरचनादि कार्योंके लिये भिन्नभिन्न गुणोंको स्वीकार करनेपर भी उन गुणोंके वशीभीत नहीं होते। गुणोंपर उनका पूर्ण आधिपत्य रहता है। सम्बन्ध --   पूर्वश्लोकमें भगवान्ने ज्ञेय तत्त्वका आधाररूपसे वर्णन किया? अब आगेके श्लोकमें उसका प्रकाशकरूपसे वर्णन करते हैं।

भगवद गीता 13.17 - अध्याय 13 श्लोक 17 हिंदी और अंग्रेजी