Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः। प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत।।11.14।।

tataḥ sa vismayāviṣhṭo hṛiṣhṭa-romā dhanañjayaḥ praṇamya śhirasā devaṁ kṛitāñjalir abhāṣhata

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Word Meanings

tataḥthen
saḥhe
vismaya-āviṣhṭaḥfull of wonder
hṛiṣhṭa-romāwith hair standing on end
dhanañjayaḥArjun, the conqueror of wealth
praṇamyabow down
śhirasāwith (his) head
devamthe Lord
kṛita-añjaliḥwith folded hands
abhāṣhatahe addressed
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अनुवाद

।।11.14।। भगवान् के विश्वरूपको देखकर अर्जुन बहुत चकित हुए और आश्चर्यके कारण उनका शरीर रोमाञ्चित हो गया। वे हाथ जोड़कर विश्वरूप देवको मस्तकसे प्रणाम करके बोले।

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टीका

।।11.14।। व्याख्या--ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः--अर्जुनने भगवान्के रूपके विषयमें जैसी कल्पना भी नहीं की थी, वैसा रूप देखकर उनको बड़ा आश्चर्य हुआ। भगवान्ने मेरेपर कृपा करके विलक्षण आध्यात्मिक बातें अपनी ओरसे बतायीं और अब कृपा करके मेरेको अपना विलक्षण रूप दिखा रहे हैं-- इस बातको लेकर अर्जुन प्रसन्नताके कारण रोमाञ्चित हो उठे।

भगवद गीता 11.14 - अध्याय 11 श्लोक 14 हिंदी और अंग्रेजी