बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्। मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।10.35।।
bṛihat-sāma tathā sāmnāṁ gāyatrī chhandasām aham māsānāṁ mārga-śhīrṣho ’ham ṛitūnāṁ kusumākaraḥ
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Word Meanings
bṛihat-sāma—the Brihatsama
tathā—also
sāmnām—amongst the hymns in the Sama Veda
gāyatrī—the Gayatri mantra
chhandasām—amongst poetic meters
aham—I
māsānām—of the twelve months
mārga-śhīrṣhaḥ—the month of November-December
aham—I
ṛitūnām—of all seasons
kusuma-ākaraḥ—spring
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अनुवाद
।।10.35।। गायी जानेवाली श्रुतियोंमें बृहत्साम और वैदिक छन्दोंमें गायत्री छन्द मैं हूँ। बारह महीनोंमें मार्गशीर्ष और छः ऋतुओंमें वसन्त मैं हूँ।
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टीका
।।10.35।। व्याख्या--'बृहत्साम तथा साम्नाम्'--सामवेदमें बृहत्साम नामक एक गीति है। इसके द्वारा इन्द्ररूप परमेश्वरकी स्तुति की गयी है। अतिरात्रयागमें यह एक पृष्ठस्तोत्र है। सामवेदमें सबसे श्रेष्ठ होनेसे इस बृहत्सामको भगवान्ने अपनी विभूति बताया है (टिप्पणी प0 564)।