Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्। झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी।।10.31।।

pavanaḥ pavatām asmi rāmaḥ śhastra-bhṛitām aham jhaṣhāṇāṁ makaraśh chāsmi srotasām asmi jāhnavī

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Word Meanings

pavanaḥthe wind
pavatāmof all that purifies
asmiI am
rāmaḥRam
śhastra-bhṛitāmof the carriers of weapons
ahamI am
jhaṣhāṇāmof all acquatics
makaraḥcrocodile
chaalso
asmiI am
srotasāmof flowing rivers
asmiI am
jāhnavīthe Ganges
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अनुवाद

।।10.31।। पवित्र करनेवालोंमें वायु और शास्त्रधारियोंमें राम मैं हूँ। जल-जन्तुओंमें मगर मैं हूँ। बहनेवाले स्त्रोतोंमें गङ्गाजी मैं हूँ।

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टीका

।।10.31।। व्याख्या--पवनः पवतामस्मि-- वायुसे ही सब चीजें पवित्र होती हैं। वायुसे ही नीरोगता आती है। अतः भगवान्ने पवित्र करनेवालोंमें वायुको अपनी विभूति बताया है।'रामः शस्त्रभृतामहम्'--ऐसे तो राम अवतार हैं, साक्षात् भगवान् हैं, पर जहाँ शस्त्रधारियोंकी गणना होती है, उन सबमें राम श्रेष्ठ हैं। इसलिये भगवान्ने रामको अपनी विभूति बताया है।

भगवद गीता 10.31 - अध्याय 10 श्लोक 31 हिंदी और अंग्रेजी