Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः। गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।10.26।।

aśhvatthaḥ sarva-vṛikṣhāṇāṁ devarṣhīṇāṁ cha nāradaḥ gandharvāṇāṁ chitrarathaḥ siddhānāṁ kapilo muniḥ

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Word Meanings

aśhvatthaḥthe banyan tree
sarva-vṛikṣhāṇāmamongst all trees
deva-ṛiṣhīṇāmamongst celestial sages
chaand
nāradaḥNarad
gandharvāṇāmamongst the gandharvas
chitrarathaḥChitrarath
siddhānāmof all those who are perfected
kapilaḥ muniḥsage Kapil
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अनुवाद

।।10.26।। सम्पूर्ण वृक्षोंमें पीपल, देवर्षियोंमें नारद, गन्धर्वोंमें चित्ररथ और सिद्धोंमें कपिल मुनि मैं हूँ।

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टीका

।।10.26।। व्याख्या--'अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम्'--पीपल एक सौम्य वृक्ष है। इसके नीचे हरेक पेड़ लग जाता है, और यह पहाड़, मकानकी दीवार, छत आदि कठोर जगहपर भी पैदा हो जाता है। पीपल वृक्षके पूजनकी बड़ी महिमा है। आयुर्वेदमें बहुत-से रोगोंका नाश करनेकी शक्ति पीपल वृक्षमें बतायी गयी है। इन सब दृष्टियोंसे भगवान्ने पीपलको अपनी विभूति बताया है।

भगवद गीता 10.26 - अध्याय 10 श्लोक 26 हिंदी और अंग्रेजी