Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः। भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।9.25।।

yānti deva-vratā devān pitṝīn yānti pitṛi-vratāḥ bhūtāni yānti bhūtejyā yānti mad-yājino ’pi mām

0:00 / --:--

Word Meanings

yāntigo
deva-vratāḥworshipers of celestial gods
devānamongst the celestial gods
pitṝīnto the ancestors
yāntigo
pitṛi-vratāworshippers of ancestors
bhūtānito the ghosts
yāntigo
bhūta-ijyāḥworshippers of ghosts
yāntigo
matmy
yājinaḥdevotees
apiand
māmto me
•••

अनुवाद

।।9.25।। (सकामभावसे) देवताओंका पूजन करनेवाले (शरीर छोड़नेपर) देवताओंको प्राप्त होते हैं। पितरोंका पूजन करनेवाले पितरोंको प्राप्त होते हैं। भूत-प्रेतोंका पूजन करनेवाले भूत-प्रेतोंको प्राप्त होते हैं। परन्तु मेरा पूजन करनेवाले मुझे ही प्राप्त होते हैं।

•••

टीका

।।9.25।। व्याख्या--[पूर्वश्लोकमें भगवान्ने यह बताया कि मैं ही सम्पूर्ण यज्ञोंका भोक्ता और सम्पूर्ण संसारका मालिक हूँ, परन्तु जो मनुष्य मेरेको भोक्ता और मालिक न मानकर स्वयं भोक्ता और मालिक बन जाते हैं, उनका पतन हो जाता है। अब इस श्लोकमें उनके पतनका विवेचन करते हैं।]

भगवद गीता 9.25 - अध्याय 9 श्लोक 25 हिंदी और अंग्रेजी