यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः। भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।9.25।।
yānti deva-vratā devān pitṝīn yānti pitṛi-vratāḥ bhūtāni yānti bhūtejyā yānti mad-yājino ’pi mām
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Word Meanings
yānti—go
deva-vratāḥ—worshipers of celestial gods
devān—amongst the celestial gods
pitṝīn—to the ancestors
yānti—go
pitṛi-vratā—worshippers of ancestors
bhūtāni—to the ghosts
yānti—go
bhūta-ijyāḥ—worshippers of ghosts
yānti—go
mat—my
yājinaḥ—devotees
api—and
mām—to me
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अनुवाद
।।9.25।। (सकामभावसे) देवताओंका पूजन करनेवाले (शरीर छोड़नेपर) देवताओंको प्राप्त होते हैं। पितरोंका पूजन करनेवाले पितरोंको प्राप्त होते हैं। भूत-प्रेतोंका पूजन करनेवाले भूत-प्रेतोंको प्राप्त होते हैं। परन्तु मेरा पूजन करनेवाले मुझे ही प्राप्त होते हैं।
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टीका
।।9.25।। व्याख्या--[पूर्वश्लोकमें भगवान्ने यह बताया कि मैं ही सम्पूर्ण यज्ञोंका भोक्ता और सम्पूर्ण संसारका मालिक हूँ, परन्तु जो मनुष्य मेरेको भोक्ता और मालिक न मानकर स्वयं भोक्ता और मालिक बन जाते हैं, उनका पतन हो जाता है। अब इस श्लोकमें उनके पतनका विवेचन करते हैं।]