Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः। नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम्।।6.11।।

śhuchau deśhe pratiṣhṭhāpya sthiram āsanam ātmanaḥ nātyuchchhritaṁ nāti-nīchaṁ chailājina-kuśhottaram

0:00 / --:--

Word Meanings

śhuchauin a clean
deśheplace
pratiṣhṭhāpyahaving established
sthiramsteadfast
āsanamseat
ātmanaḥhis own
nanot
atitoo
uchchhritamhigh
nanot
atitoo
nīchamlow
chailacloth
ajinaa deerskin
kuśhakuśh grass
uttaramone over the other
•••

अनुवाद

।।6.11।। शुद्ध भूमिपर, जिसपर क्रमशः कुश, मृगछाला और वस्त्र बिछे हैं, जो न अत्यन्त ऊँचा है और न अत्यन्त नीचा, ऐसे अपने आसनको स्थिरस्थापन करके।

•••

टीका

।।6.11।। व्याख्या--'शुचौ देशे'--भूमिकी शुद्धि दो तरहकी होती है--(1) स्वाभाविक शुद्ध स्थान; जैसे--गङ्गा आदिका किनारा; जंगल; तुलसी, आँवला, पीपल आदि पवित्र वृक्षोंके पासका स्थान आदि और (2) शुद्ध किया हुआ स्थान; जैसे--भूमिको गायके गोबरसे लीपकर अथवा जल छिड़ककर शुद्ध किया जाय; जहाँ मिट्टी हो, वहाँ ऊपरकी चार-पाँच अंगुली मिट्टी दूर करके भूमिको शुद्ध किया जाय। ऐसी स्वाभाविक अथवा शुद्ध की हुई समतल भूमिमें काठ

या पत्थरकी चौकी आदिको लगा दे। 'चैलाजिनकुशोत्तरम्'--यद्यपि पाठके अनुसार क्रमशः वस्त्र, मृगछाला और कुश बिछानी चाहिये (टिप्पणी प0 343), तथापि बिछानेमें पहले कुश बिछा दे, उसके ऊपर बिना मारे हुए मृगका अर्थात् अपने-आप मरे हुए मृगका चर्म बिछा दे; क्योंकि मारे हुए मृगका चर्म अशुद्ध होता है। अगर ऐसी मृगछाला न मिले, तो कुशपर टाटका बोरा अथवा ऊनका कम्बल बिछा दे। फिर उसके ऊपर कोमल सूती कपड़ा बिछा दे।वाराहभगवान्के

रोमसे उत्पन्न होनके कारण कुश बहुत पवित्र माना गया है; अतः उससे बना आसन काममें लाते हैं। ग्रहण आदिके समय सूतकसे बचनेके लिये अर्थात् शुद्धिके लिये कुशको पदार्थोंमें, कपड़ोंमें रखते हैं। पवित्री, प्रोक्षण आदिमें भी इसको काममें लेते हैं। अतः भगवान्ने कुश बिछानेके लिये कहा है।कुश शरीरमें गड़े नहीं और हमारे शरीरमें जो विद्युत्शक्ति है वह आसानमेंसे होकर जमीनमें न चली जाय, इसलिये (विद्युत्शक्तिको रोकनेके

लिये) मृगछाला बिछानेका विधान आया है।मृगछालाके रोम (रोएँ) शरीरमें न लगें और आसन कोमल रहे, इसलिये मृगछालाके ऊपर सूती शुद्ध कपड़ा बिछानेके लिये कहा गया है। अगर मृगछालाकी जगह कम्बल या टाट हो, तो वह गरम न हो जाय, इसलिये उसपर सूती कपड़ा बिछाना चाहिये।

भगवद गीता 6.11 - अध्याय 6 श्लोक 11 हिंदी और अंग्रेजी