एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना। जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम्।।3.43।।
evaṁ buddheḥ paraṁ buddhvā sanstabhyātmānam ātmanā jahi śhatruṁ mahā-bāho kāma-rūpaṁ durāsadam
Word Meanings
अनुवाद
।।3.42 -- 3.43।। इन्द्रियोंको (स्थूलशरीरसे) पर (श्रेष्ठ, सबल, प्रकाशक, व्यापक तथा सूक्ष्म) कहते हैं। इन्द्रियोंसे पर मन है, मनसे भी पर बुद्धि है औऱ जो बुद्धिसे भी पर है वह (काम) है। इस तरह बुद्धिसे पर - (काम-) को जानकर अपने द्वारा अपने-आपको वशमें करके हे महाबाहो ! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रुको मार डाल।
टीका
।।3.43।। व्याख्या-- इन्द्रियाणि पराण्याहुः--शरीर अथवा विषयोंसे इन्द्रियाँ पर हैं। तात्पर्य यह है कि इन्द्रियोंके द्वारा विषयोंका ज्ञान होता है पर विषयोंके द्वारा इन्द्रियोंका ज्ञान नहीं होता। इन्द्रियाँ विषयोंके बिना भी रहती हैं पर इन्द्रियोंके बिना विषयोंकी सत्ता सिद्ध नहीं होती। विषयोंमें यह सामर्थ्य नहीं कि वे इन्द्रियोंको प्रकाशित करें, प्रत्युत इन्द्रियाँ विषयोंको प्रकाशित करती हैं। इन्द्रियाँ
वही रहती हैं, पर विषय बदलते रहते हैं। इन्द्रियाँ व्यापक हैं और विषय व्याप्य हैं अर्थात् विषय इन्द्रियोंके अन्तर्गत आते हैं, पर इन्द्रियाँ विषयोंके अन्तर्गत नहीं आतीं। विषयोंकी अपेक्षा इन्द्रियाँ सूक्ष्म हैं। इसलिये विषयोंकी अपेक्षा इन्द्रियाँ श्रेष्ठ, सबल, प्रकाशक, व्यापक और सूक्ष्म हैं।