Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो। योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयाऽत्मानमव्ययम्।।11.4।।

manyase yadi tach chhakyaṁ mayā draṣhṭum iti prabho yogeśhvara tato me tvaṁ darśhayātmānam avyayam

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Word Meanings

manyaseyou think
yadiif
tatthat
śhakyampossible
mayāby me
draṣhṭumto behold
itithus
prabhoLord
yoga-īśhvaraLord of all mystic powers
tataḥthen
meto me
tvamyou
darśhayareveal
ātmānamyourself
avyayamimperishable
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अनुवाद

।।11.4।। हे प्रभो ! मेरे द्वारा आपका वह परम ऐश्वर रूप देखा जा सकता है -- ऐसा अगर आप मानते हैं, तो हे योगेश्वर ! आप अपने उस अविनाशी स्वरूपको मुझे दिखा दीजिये।

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टीका

।।11.4।। व्याख्या--'प्रभो'-- 'प्रभु' नाम सर्वसमर्थका है, इसलिये इस सम्बोधनका भाव यह मालूम देता है कि यदि आप मेरेमें विराट्रूप देखनेकी सामर्थ्य मानते हैं, तब तो ठीक है; नहीं तो आप मेरेको ऐसी सामर्थ्य दीजिये, जिससे मैं आपका वह ऐश्वर (ईश्वरसम्बन्धी) रूप देख सकूँ।

भगवद गीता 11.4 - अध्याय 11 श्लोक 4 हिंदी और अंग्रेजी