मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो। योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयाऽत्मानमव्ययम्।।11.4।।
manyase yadi tach chhakyaṁ mayā draṣhṭum iti prabho yogeśhvara tato me tvaṁ darśhayātmānam avyayam
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Word Meanings
manyase—you think
yadi—if
tat—that
śhakyam—possible
mayā—by me
draṣhṭum—to behold
iti—thus
prabho—Lord
yoga-īśhvara—Lord of all mystic powers
tataḥ—then
me—to me
tvam—you
darśhaya—reveal
ātmānam—yourself
avyayam—imperishable
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अनुवाद
।।11.4।। हे प्रभो ! मेरे द्वारा आपका वह परम ऐश्वर रूप देखा जा सकता है -- ऐसा अगर आप मानते हैं, तो हे योगेश्वर ! आप अपने उस अविनाशी स्वरूपको मुझे दिखा दीजिये।
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टीका
।।11.4।। व्याख्या--'प्रभो'-- 'प्रभु' नाम सर्वसमर्थका है, इसलिये इस सम्बोधनका भाव यह मालूम देता है कि यदि आप मेरेमें विराट्रूप देखनेकी सामर्थ्य मानते हैं, तब तो ठीक है; नहीं तो आप मेरेको ऐसी सामर्थ्य दीजिये, जिससे मैं आपका वह ऐश्वर (ईश्वरसम्बन्धी) रूप देख सकूँ।