Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्िवनौ मरुतश्चोष्मपाश्च। गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घा वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे।।11.22।।

rudrādityā vasavo ye cha sādhyā viśhve ’śhvinau marutaśh choṣhmapāśh cha gandharva-yakṣhāsura-siddha-saṅghā vīkṣhante tvāṁ vismitāśh chaiva sarve

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Word Meanings

rudraa form of Lord Shiv
ādityāḥthe Adityas
vasavaḥthe Vasus
yethese
chaand
sādhyāḥthe Sadhyas
viśhvethe Vishvadevas
aśhvinauthe Ashvini kumars
marutaḥthe Maruts
chaand
uṣhma-pāḥthe ancestors
chaand
gandharvaGandharvas
yakṣhathe Yakshas
asurathe demons
siddhathe perfected beings
saṅghāḥthe assemblies
vīkṣhanteare beholding
tvāmyou
vismitāḥin wonder
chaand
evaverily
sarveall
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अनुवाद

।।11.22।। जो ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, बारह साध्यगण, दस विश्वेदेव और दो अश्विनीकुमार, उनचास मरुद्गण, सात पितृगण तथा गन्धर्व, यक्ष, असुर और सिद्धोंके समुदाय हैं, वे सभी चकित होकर आपको देख रहे हैं।

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टीका

।।11.22।। व्याख्या--'रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च'--ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, दो अश्विनीकुमार और उनचास मरुद्गण -- इन सबके नाम इसी अध्यायके छठे श्लोककी व्याख्यामें दिये गये हैं, इसलिये वहाँ देख लेना चाहिये। मन, अनुमन्ता, प्राण, नर, यान, चित्ति, हय, नय, हंस, नारायण, प्रभव और विभु -- ये बारह 'साध्य' हैं (वायुपुराण 66। 15 16)। क्रतु, दक्ष, श्रव, सत्य, काल, काम,

धुनि, कुरुवान्, प्रभवान् और रोचमान -- ये दस 'विश्वेदेव' हैं (वायुपुराण 66। 31 32)। कव्यवाह अनल, सोम, यम, अर्यमा, अग्निष्वात्त और बर्हिषत् -- ये सात 'पितर' हैं (शिवपुराण, धर्म0 63। 2)। ऊष्म अर्थात् गरम अन्न खानेके कारण पितरोंका नाम 'ऊष्मपा' है।

भगवद गीता 11.22 - अध्याय 11 श्लोक 22 हिंदी और अंग्रेजी